सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

अपने लिए जिए तो क्या जिए............

१८६९ में जन्मे महात्मा गाँधी जी महान जन नायक,समाज सुधारक, नैतिक दार्शनिक थे .
उनके चिंतन की कुछ विशेषताएं थीं.... ...

जैसे सत्य ,अहिंसा, अध्यात्मवाद ,मानव गरिमा,साधन साध्य की पवित्रता और सत्याग्रह ..........
निश्चय ही उन्होंने अपने जीवन में इन मूल विशेषताओं को लागू किया .............
वे बड़े प्रयोगधर्मी थे सो उन्होंने अपने चिंतन को आजादी का अस्त्र बना लिया ..........
हालाँकि वे दक्षिण अफ्रीका में इनका सफल प्रयोग करके ही भारत आये थे ........

भारत में आने के बाद उन्होंने जनता के बीच खूब काम किया इस बावत चमनलाल एवं चिमनलाल ने उनका खूब साथ दिया ........
१९२० से पूर्व ही वे जनता के बीच खासे लोकप्रिय हो चुके थे यथा चंपारण,खेडा,अहमदावाद.............में ............
१९२० में खिलाफत के साथ असहयोग का प्रयास ख़ासा सफल रहा .................
हालाँकि इस आन्दोलन से देश को तत्काल आज़ादी नहीं मिली पर एक बात स्पस्ट हो गयी
की आज़ादी की अभिलाषा अब एक-एक भारतीय की दिल में है ..........

गाँधी जी हार न मानने वाले लोगो में से थे १९३० के सविनय आन्दोलन को शुरू करके उन्होंने ये साबित कर दिया...
इस बार भी जनता ही उनका मुख्य अस्त्र थी ................
गांधीजी के जनांदोलन में एक ख़ास बात थी वे सभी की भागेदारी को आवश्यक मानते थे .......
यथा पूंजीपति,किसान, श्रमिक,महिलाऐं निम्न जातियां और जन जातियां ...................
उन्होंने मुसलमानों को भी साथ लिया था ...............
पर उस समय बह रही साम्प्रदायिकता की बयार को वे रोक नहीं सके कारण स्पस्ट था........
जनता उनकी ताकत थी पर अब वो ही साम्प्रदायिक हो चली थी .............
पर गाँधी जी अपने प्रयास में लगे रहे.............
और अंग्रेजों को बाहर निकालने के लिए १९४२ में पूरी तरह तैयार हो गए .........
इस बार का नज़ारा बदला हुआ था इस बार रियासतों की जनता भी गाँधी जी के साथ थी ..........
इस बात पर खूब चर्चा होती रही की १९४२ का आन्दोलन स्वतः-स्फूर्त था या नहीं............
पर ये भी तो सोचिये यदि ये स्वतः-स्फूर्त है तो गांधी का कितना बड़ा हाथ इसमें था .........
१९४८ तक वे कभी अपने लिए नहीं जिए वे जिए तो देश के लिए .................
आज वे हमारे दिलों में जी रहें हैं अब जरूरत है उनके मार्गदर्शन पर चलने की ............
धन्यवाद............
shyamkant